हिरण्यकशिपु के नाम से एक बार एक राक्षस राजा था जिसने पृथ्वी के राज्य पर जीत हासिल की थी। वह इतना अहंकारी था कि उसने अपने राज्य में सभी को केवल उसी की पूजा करने का आदेश दिया। लेकिन उनके भाग्य की बड़ी निराशा ईश्वर की ही लीला कि उनका बेटा प्रह्लाद भगवान् नारायण का एक उत्साही भक्त बन गया और उसने अपने पिता की पूजा करने से इनकार कर दिया।
जब जब पाप अहंकार बढ़ता है ईश्वर उसके नाश की प्रक्रिया प्रारंभ कर देता है।
दरअसल पुराणों में लिखा है कि पृथ्वी पर विजय प्राप्त करने के बाद हिरण्यकश्यप ने सोचा कि कहीं मेरा ये शासन ख़तम न हो जाए सो उसने शिव को तप कर प्रसन्न किया और वरदान प्राप्त किया कि वो -" उसकी मृत्यु तब हो जब न दिन हो न रात, न शस्त्र से मरूं न अस्त्र से, न स्त्री से मरूं न पुरूष से, न जानवर से मरूं न कीड़े से, न आकाश में मरूं न पाताल में, न अंदर न बाहर " शिव ने कहा तथास्तु
हिरण्यकश्यप सोचने लगा वो अमर हो गया क्योंकि ये संभव नहीं, वो खुद को भगवान समझने लगा।
हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए कई तरह की कोशिश की लेकिन भगवान् विष्णु ने हर बार उनको बचा लिया। अंत में, उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को गोद में लेकर धधकती आग में प्रवेश करने के लिए कहा। क्योंकि, हिरण्यकशिपु जानता था कि होलिका को वरदान प्राप्त है, जिससे वह आग में नहीं जल सकती है।।
धोखे से होलिका ने प्रह्लाद को अपनी गोद में बैठा लिया और खुद जलती आग में बैठ गई । होलिका को अपनी भयावह इच्छा की कीमत अपने जीवन से चुकानी पड़ी। होलिका को पता नहीं था कि वरदान तभी काम करता है जब वह अकेले आग में प्रवेश करती है।
प्रह्लाद, जो इस सब के दौरान भगवान् नारायण के नाम का जप करता रहा, वह सकुशल बाहर आ गया, क्योंकि भगवान् ने उन्हें अपनी चरम भक्ति के लिए आशीर्वाद दिया साथ ही संसार को बताना था कि प्रेम, भक्ति, विश्वास, सत्य और अच्छाई की ही जीत होती है, लाख कष्ट मिलें पर विश्वास रखोl
इस प्रकार होली का नाम होलिका से लिया गया और बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रूप में मनाया जा रहा।
आगे शिव ने शक्ति और नारायण के साथ लीला रची और नृसिंह अवतार द्वारा हिरण्यकश्यप का भी वध कर बुराई और अहंकार का अंत किया।
शिक्षा :- होलिका दहन बुराइयों को, पापों को अपने अंदर से जलाकर खत्म करने हेतु मनाया जाता है।
अदिति झा
09-Mar-2023 06:53 PM
Nice 👌
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Punam verma
08-Mar-2023 09:09 AM
Very nice
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Abhinav ji
08-Mar-2023 08:32 AM
Very nice 👍
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